पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट (PQWL) क्या होता है - What is PQWL? भारतीय रेलवे में एक खास तरह की वेटिंग लिस्ट होती है।
यह तब लागू होती है जब किसी ट्रेन में कोटे के तहत कुछ सीटें बची होती हैं, लेकिन फिर भी ट्रेन की पूरी भराई नहीं हो पाती।
यानी, जिस स्टेशन कोटे के तहत इन सीटों का आवंटन होना है, वहाँ पर कुछ सीटें खाली बच जाती हैं। इसका मतलब है कि स्टेशन कोटे से जुड़ी सीटें हैं, लेकिन वहां पर यात्री उपलब्ध नहीं हैं और उन सीट का रिजर्वेशन नहीं हुआ है।
PQWL के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
पूल्ड कोटा: यह एक तरह का विशेष कोटा होता है जो यात्रियों की आवश्यकता के आधार लम्बी दुरी के ट्रेनों पर अलग-अलग स्टेशनो में बंटता है। यानी, आसान शब्दों में यह बिच वाले स्टेशन का कोटा होता है।
वेटिंग लिस्ट स्थिति: अगर किसी यात्री को PQWL के तहत टिकट मिलता है, तो उनकी स्थिति "वेटिंग" होती है। इसका मतलब है कि यह सीट तब तक कंफर्म नहीं होगी जब तक उस ट्रैन में कोई अपना टिकट कैंसिल न करे।
कन्फर्मेशन की संभावना: PQWL की कन्फर्मेशन की संभावना तब बढ़ जाती है जब कुछ अन्य यात्री अपनी यात्रा कैंसिल कर देते हैं या अन्य कोटे में सीटें खाली हो जाती हैं जैसे लेडीज, डिफेन्स, विकलांग, पार्लियामेंट और अन्य।
निष्कर्ष: इसे आमतौर पर "पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट" कहा जाता है, और इसे अन्य सामान्य वेटिंग लिस्ट (जैसे RLWL या GNWL) से अलग माना जाता है क्योंकि यह कोटा यात्रा की दुरी से संबंधित होता है।
वेट लिस्ट टिकट को कन्फर्म करने का नया नियम आया सामने।
उदाहरण:
मान लीजिए दिल्ली से मुम्बई जाने वाली ट्रेन में 50 सीटें GNWL (जनरल वेटिंग लिस्ट) के लिए हैं, लेकिन ट्रेन में कुछ सीटें PQWL के तहत हैं, और अगर दिल्ली से मुम्बई पूरी यात्रा करने वाले लोग ज्यादा नहीं हैं, तो PQWL वाले यात्री की टिकट कन्फर्मेशन की संभावना ९९% बढ़ जाती है।
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